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    हिचकी - ओशो

    Hiccup - Osho

    हिचकी - ओशो 

            मैंने सुना है, एक डाक्टर के दफ्तर में--हो सकता है अजित सरस्वती हों; अब छिपाना क्या, अब बता ही देना ठीक है--एक महिला भीतर गई। कुंआरी युवती है और अजित सरस्वती ने उससे कह दिया कि तू कुंआरी नहीं है, तुझे गर्भ हुआ। वह एकदम भड़क गई कि क्या बातें करते हो! भनभना गई, लाल हो गई, कि मैं बिलकुल कुंआरी हूं। मुझे कैसे गर्भाधारण हो सकता है? अरे किसी पुरुष का स्पर्श भी नहीं किया, तो गर्भाधारण कैसे हो सकता है? वह भनभना कर दरवाजा जोर से भड़का कर बाहर निकल आई--चिल्लाती हुई, चीखती हुई, नाराज होती हुई। अजित सरस्वती के असिस्टेंट ने पूछा कि आपने यह कैसी बात कही! अजित सरस्वती ने कहा, तुमने देखा नहीं, मैंने उसका इलाज कर दिया! उसको हिचकी आने की बीमारी थी। जैसे ही अजित सरस्वती ने कहा कि तुझे गर्भ रह गया, हिचकी बंद हो गईं। अरे हिचकी ऐसे समय में चल सकती है! कुंआरी कन्या को तुम कह दो गर्भ रह गया, इलाज हो गया। हिचकी उसी क्षण बंद हो गई।

    - ओशो 

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